भारत का राजनीतिक इतिहास शुरू से ही एक ओर राजाओं के आपसी
वैरविरोध और फूट से भरा पड़ा है तो दूसरी ओर उस में राजघरानों की
विलासिता, पारिवारिक कलह, ईर्ष्या आदि की भी कमी नहीं रही है, जिन
के कारण यहां शकों, हूणों, मुगलों आदि के हमले होते रहे और हम
सदियों तक गुलाम रहे.
इस का यह मतलब नहीं है कि हम भारतीयों में साहस और बल की कमी
थी या हम अपनी कमजोरियों पर विजय नहीं पा सकते थे . हम बहुत कुछ
कर सकते थे, जैसा कि चंद्रगुप्त ने किया था. मौर्य साम्राज्य के संस्थापक
चंद्रगुप्त ने अपनी सूझबूझ और बाहुबल पर, भारत की ओर बढ़ते विदेशी
हमलावर सिकंदर को रोका था.
इसी चंद्रगुप्त को केंद्र में रख कर जयशंकर ' प्रसाद ' ने 'चंद्रगुप्त' शीर्षक से
नाटक की रचना की है, जिस में भारतीय इतिहास, दर्शन एवं संस्कृति की
झलक मिलती है. प्रसंगवश, प्रेम, सौंदर्य आदि सरस अनुभूतियों से परिपूर्ण
यह नाटक इतिहास एवं साहित्य प्रेमियों और छात्रों के लिए ही नहीं,
Author's Name | Jai Shankar 'Prasad' |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 148 |
Product Code: | 924 |
ISBN: | 9788179873922 |
Availability: | In Stock |
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Chandra Gupt
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 924
- ISBN: 9788179873922
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