• Dhurv Swamini Or Janmijai Ka Naagyag
भारतीय समाज में दो ज्वलंत समस्याएं रही हैंtoविरोधकारक जाति व्यवस्था एवं कलहकारक विवाह , जिन के कारण परिवार और समाज शुरू से ही आपसी वैरविरोध के शिकार रहे हैं. इस से सदियों तक विदेशी हमलावरों को आमंत्रण मिलता रहा है. प्रायः इसी पृष्ठभूमि पर रचित हैं जयशंकर 'प्रसाद' के दो नाटकto' ध्रुवस्वामिनी ' और 'जनमेजय का नागयज्ञ ', जिन का एकत्र संग्रह है प्रस्तुत पुस्तक . 'ध्रुवस्वामिनी ' में प्रसाद जी ने ऐतिहासिक संदर्भ में नारी जीवन और उस के विवाह की समस्या पर कथित धर्मशास्त्रीय दृष्टि से नहीं, बल्कि आधुनिक दृष्टि से विचार किया है. तीन अंकों और तीन दृश्यों में विभक्त यह नाटक शैल्पिक दृष्टि से प्रसाद जी की श्रेष्ठ एवं सफल कृति है. इसी प्रकार ' जनमेजय का नागयज्ञ ' का संबंध प्राचीन आर्य और नागजाति के संघर्ष से है. इस ऐतिहासिक जातीय संघर्ष को धर्म के कारोबारियों ने जहां पौराणिक मिथक के रूप में देखा है. वहीं ' प्रसाद ' जी ने इसे नितांत मानवीय धरातल पर प्रस्तुत किया है .इन का यह नाटक जातीय स्वाभिमान से पूर्ण है, रुचिवान पाठकों के लिए 'प्रसाद ' के इन नाटकों का यह महत्त्वपूर्ण, पठनीय एवं संग्रहणीय संग्रह है.
Author's Name Jai Shankar 'Prasad'
Binding Paper Back
Language Hindi
Pages 116
Product Code: 1018
ISBN: 9788179874868
Availability: In Stock
All disputes are subject to Delhi Courts Jurisdiction only.

Write a review

Note: HTML is not translated!
    Bad           Good
Captcha

Dhurv Swamini Or Janmijai Ka Naagyag

Vishv Books Dhurv Swamini Or Janmijai Ka Naagyag QR Code
  • Brand: Vishv Books
  • Product Code: 1018
  • ISBN: 9788179874868
  • Availability: In Stock
  • INR96.00