अनादिकालीन प्रलय के बाद सृष्टि का विकास मनु से हुआ! यह
पौराणिक मिथक वैज्ञानिक कसौटी पर भले ही खरा न उतरता हो, पर
जयशंकर 'प्रसाद' ने इसी मिथक पर एक सरस महाकाव्य
'कामायनी' की रचना कर डाली.
यह बात अलग है कि 'कामायनी ' को तुलसीकृत 'रामचरितमानस '
जैसी लोकप्रियता नहीं मिली, फिर भी प्रबुद्ध आलोचकों ने इस पर
अच्छाखासा बौद्धिक व्यायाम किया है, जिस के परिणामस्वरूप
'कामायनी' को 'छायावादी युग' का श्रेष्ठ महाकाव्य माना जाने
लगा.
शायद इसी कारण यह ग्रंथ अथवा इस के कुछ अंश विभिन्न
विश्वविद्यालयों की विभिन्न कक्षाओं के पाद्यक्रम का अंग भी रहे
हैं.
सभी साहित्य प्रेमियों के लिए पठनीय.
Author's Name | Jai Shankar 'Prasad' |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 192 |
Product Code: | 1009 |
ISBN: | 9788179874776 |
Availability: | In Stock |
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Kamayani
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 1009
- ISBN: 9788179874776
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