काशी वर्तमान वाराणसी निवासी लाला समरकांत की कठोरता एवं प्रताड़ना ने यदि अमर को घर से निकाला था, तो पत्नी की उपेक्षा से वह सकीना की मुहब्बत में फंस गया। लेकिन जब मुहब्बत का भेद खुल गया तो उस ने शहर ही छोड़ दिया और जन सेवा के मार्ग पर चल पड़ा।
इकलौते पुत्र के चले जाने पर समरकांत और उन की पुत्रवधू सुखदा क्या अकेले रह सके? अथवा उन्होंने भी जन सेवा का मार्ग अपना लिया? फिर सकीना का क्या हुआ? अमर भी क्या अपने पिता, पत्नी तथा प्रेमिका को भुला सका? अथवा वह किसी अन्य स्त्री के चक्कर में पड़ गया?
ऐसे ही तमाम सवालों का रोचक कथात्मक जवाब है प्रेमचंद का चर्चित उपन्यास ‘कर्मभूमि’, जिस में देशप्रेम, समाजसुधार, मद्यनिषेध, अछूतोद्धार, शिक्षा आदि विविध विषयों को उजागर करने का सफल प्रयास किया गया है।
प्रासंगिक रूप से किसानों की समस्याएं भी उभर कर सामने आई हैं।
हर वर्ग के पाठकों के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय उपन्यास।
Author's Name | Munshi Premchand |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 316 |
Product Code: | 733 |
ISBN: | 9788179871935 |
Availability: | In Stock |
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Karmbhumi
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 733
- ISBN: 9788179871935
- Availability: In Stock
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