• Gaban
बचपन में एक खूबसूरत चंद्रहार देख कर जालपा में वैसा ही चंद्रहार पाने की जो इच्छा जागी थी, वह शादी के बाद और भी बलवती हो उठी, यंहा तक की वह चंद्रहार पाने के लिए वक्तtoबेtoवक्त पति को ताना मारने और खरीखोटी सुनाने से भी न चूकती। अतंत तंग आ कर एक दिन पति रमानाथ को पत्नी की इच्छा पूरी करनी ही पड़ी, मगर कैसे to यह एक रोचक एवं प्रेरणाप्रद कहानी है, जिस का आकर्षक तानाबाना उपन्यास 'गबन' के रूप में बुना गया है. कथा सम्राट प्रेमचंदयेह ने यह रोचक उपन्यास मध्वर्गीय परिवार की आर्थिक समस्याओं के साथसाथ मानव की सहज मनोव्रतियों का भीं स्वभाविक चित्रण किया है, नारियों की आभूषणप्रियता उपन्यास का एक प्रासंगिक पहलू है.
Author's Name Munshi Premchand
Binding Paper Back
Language Hindi
Pages 260
Product Code: 709
ISBN: 9788179871744
Availability: In Stock
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Gaban

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  • Brand: Vishv Books
  • Product Code: 709
  • ISBN: 9788179871744
  • Availability: In Stock
  • INR208.00