साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर की ‘गीतांजलि’ लघु का विराट के साथ शाश्वत एवं कालजयी संवाद है, जो तब घटित होता है, जब व्यक्ति का अहं समाप्त हो जाता है और वह प्रकृति के कणकण से प्रेम कर उठता है।
इसीलिए ‘गीतांजलि’ के प्रायः सभी गीत सभी वर्ग के पाठकों द्वारा सहज ही गाए, गुनगुनाए, समझे और सराहे जाते हैं, जो इन गीतों की लोकप्रियता की ओर सहज संकेत है।
प्रस्तुत छंदबद्ध अनुवाद मूल बंगला ‘गीतांजलि’ पर आधारित हैto इस में यह ध्यान रखा गया है कि कवि की मूल संवेदना को कोई आघात न पहुंचे। अनुवाद की भाषा शैली सरल है ताकि आम पाठकों को भाव बोध में कठिनाई न हो।
Author's Name | |
Binding | |
Language | |
Pages | |
Product Code: | 574 |
ISBN: | 9788179870365 |
Availability: | In Stock |
All disputes are subject to Delhi Courts Jurisdiction only. |