• Gora
गौर मोहन उर्फ़ गोरा भले ही अंगरेज दंपती की संतान था, किंतु उस का पालन पोषण एक बंगाली दंपती ने किया था, जिस के कारण वह हिंदू धर्म और जाति के प्रति बेहद कट्टर बन गया थाto यहां तक कि ब्रह्म समाजियों के यहां जाने आने और मेलजोल रखने में भी उसे परहेज था. लेकिन अचानक ऐसा क्या हुआ कि इस धार्मिक और जातीय कट्टरता के प्रति उस की विचारधारा लड़खड़ाने लगी? जानने के लिए पढ़िए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित रवींद्रनाथ टैगोर का प्रसिद्ध उपन्यास 'गोरा.' 'गोरा' में टैगोर ने धर्म एवं जातिगत बंधनों को तोड़ने का प्रयास करते हुए नव विकासवादी समाज का मार्ग प्रशस्त किया है. साथ ही तत्कालीन भारतियों की गुलामी और अंगरेजों के अत्याचारों पर भी प्रकाश डाला है. स्वयं पढ़िए,अपने इष्ट मित्रों को पढ़वाइए, क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण उपन्यास हर सहृदय भारतीय के लिए पठनीय एवं संग्रहणीय है.
Author's Name
Binding
Language
Pages
Product Code: 991
ISBN: 9788179874592
Availability: In Stock
All disputes are subject to Delhi Courts Jurisdiction only.

Write a review

Note: HTML is not translated!
    Bad           Good
Captcha

Gora

Vishv Books Gora QR Code
  • Brand: Vishv Books
  • Product Code: 991
  • ISBN: 9788179874592
  • Availability: In Stock
  • INR280.00