कशी के निकट पाण्डेपुर में गरीब सूरदास की कुछ पैतृक ज़मीन थी, जिस पर मि. जान सेवक सिगरेट का एक कारखाना स्थापित करना चाहते थे, किन्तु समस्या यह थी कि सूरदास किसी भी कीमत पर अपनी ज़मीन बेचना नहीं चाहता था. आखिर मि. सेवक ने ज़मीन हथियाने के लिए क्या क्या नहीं किया? क्या सूरदास अपने जीते जी उस ज़मीन और अपने झोंपड़े की रक्षा कर सका? ज़मीन के इस विवाद की पृष्ठभूमि पर रचित है प्रेमचंद का बहुचर्चित उपन्यासto 'रंगभूमि' जिस का मुख्य उद्देश है नौकरशाही और और पूंजीवाद तथा देशी राज्योँ के साथ जनवाद का संघर्ष प्रसंगवश आई राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक समस्याओं के मध्य प्रेमचंद का दृष्टिकोण राष्ट्रीयता से ओतप्रोत है. १९२४to२५ में प्रकाशित इस उपन्यास पर गांधीवादी विचारधारा का प्रभाव है.
Author's Name | Munshi Premchand |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 584 |
Product Code: | 739 |
ISBN: | 9788179872048 |
Availability: | In Stock |
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Rangbhoomi
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 739
- ISBN: 9788179872048
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