बासे आवास गृह की नौकरानी और पति परित्यक्ता सावित्री तथा सतीश एकदूसरे को बहुत चाहते थे, फिर भी न जाने क्यों वे एकदूसरे से प्राय दूरदूर रहते थे. एक दिन सतीश के परम हितैषी उपेंद्र ने सावित्री को सतीश के आवास पर क्या देख लिया कि वे दोनों उपेंद्र के कोप भाजन बन गए.
दूसरी और किरणमयी उपेंद्र के छोटे भाई और अपने से कई वर्ष छोटे दिवाकर को ले कर रातोंरात सात समुद्र पार लिए चल पड़ी.
फिर भी क्या वह दिवाकर को पूरी तरह पा सकी? क्या किरणमयी और दिवाकर उपेंद्र के कोप भाजन नहीं बने? अथवा सचाई जानसमझ कर उपेंद्र ने दोनों प्रेमी युगलों को क्षमा कर दिया?
सात्विक प्रेम और वासनामय प्रेम के बीच नारी की वेदना को रेखांकित करने वाले भारतीय साहित्यकार शरतचंद्र का बहुचर्चित उपन्यास 'चरित्रहीन' इन्हीं प्रशनों का मार्मिक समाधान है, जिसे आप अवशय पढ़ना चाहेंगे.
Author's Name | Sharatchandra Chattopadhyay |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 308 |
Product Code: | 711 |
ISBN: | 9788179871768 |
Availability: | In Stock |
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Charitraheen
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 711
- ISBN: 9788179871768
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