• Srikant
श्रीकांत बचपन से ही धुन के धनी और मस्तमौला थे। किसी के साथ या एक ही जगह लंबे समय तक रहना उन की प्रकृति के विरुद्ध था। बचपन में अगर वह एक अपरिचित इंद्रनाथ के साथ रातरात भर नौका विहार करते और मछलियां पकड़ते रहे, तो जवानी में वह यायावर की तरह कभी यहां तो कभी वहां घूमते रहे। समाज में उन्हें कोई अपना कहने वाला था तो केवल राजलक्ष्मीtoउन की बचपन की सहपाठिन, जिस ने नौ साल की उमर में ही चौदह साल के किशोर श्रीकांत को करौंदों की माला पहना कर अपना बनाना चाहा था। फिर भी क्या वह श्रीकांत को अपना बना सकी? आत्मकथात्मक शैली में रचित एवं चार भागों में विभक्त ‘श्रीकांत’ शरतचंद्र चट्टोपाध्याय का रोचक, पठनीय एवं संग्रहणीय उपन्यास है, जो पुरुष प्रधान होते हुए भी नारी संवेदना का संवाहक है।
Author's Name Sharatchandra Chattopadhyay
Binding Paper Back
Language Hindi
Pages 528
Product Code: 786
ISBN: 9788179872512
Availability: In Stock
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  • Brand: Vishv Books
  • Product Code: 786
  • ISBN: 9788179872512
  • Availability: In Stock
  • INR396.00