समाज के तथाकथित उच्च,विशेषतया ब्राह्मण वर्ग एवं सामाजिक संबंधों का कितना और किस प्रकार शोषण किया जाता रहा है , इस का प्रत्यक्ष उदाहरण है शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का बहुचर्चित उपन्यास 'विप्रदास'. ऊँचनीच ,छुआछूत, संध्यापूजा आदि पाखंडों के चलते समाज में सरल हृदया नारियों की कोमल भावनाओं से कैसे खिलवाड़ किया जाता हैtoयह भी विप्रदास का प्रमुख वर्ण्य विषय है. परंपरागत बंधनों से मुक्त होने की छटपटाहट को रेखांकित करना शरतचन्द्र की प्रमुख विशेषता है,विप्रदास में भी सहज ही देखी जा सकती है.
Author's Name | Sharatchandra Chattopadhyay |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 172 |
Product Code: | 676 |
ISBN: | 9788179871409 |
Availability: | In Stock |
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Vipradas
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 676
- ISBN: 9788179871409
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