भुवनेश्वरी मंदिर के पुजारी रघुपति ने अपनी हलवापूरी जारी रखने के लिए
राजा गोविंद माणिक्य और उन की प्रजा को तंत्र, मंत्र, बलि आदि के
मायाजाल में ऐसा उलझाया कि देवी को प्रसन्न् करने के लिए आए दिन
बलि दी जाने लगी.
अचानक ऐसा क्याी हुआ कि राजा गोविंद माणिक्य ने बलि प्रथा पर रोक
लगा दी? पुजारी और प्रजा पर इस रोक की क्या प्रतिक्रिया हुई? क्या राजा
अपना सिंहासन बचा सका? जानने के लिए पढ़िए रबींद्रनाथ टैगोर का
चर्चित उपन्यास ' राजर्षि',
‘राजर्षि’ में कर्तव्य अकर्तव्य की कसौटी पर पापपुण्य की विवेचना करते
हुए घर्मांधता के विरुद्ध जिहाद छेड़ने का प्रयास किया गया है. साथ ही
रूढ़ियों को धिक्कारते हुए धर्म, प्रकृति एवं समाज को नए परिप्रेक्ष्य में
देखा गया है.
‘राजर्षि’ के साथसाथ टैगोर का विचार प्रधान लघु उपन्यास 'अपनी
दुनिया' भी संकलित है. दोनों ही उपन्यास सभी वर्गों के पाठकों के लिए पठनीय हैं.
Author's Name | Rabindranath Tagore |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 191 |
Product Code: | 962 |
ISBN: | 9788179874301 |
Availability: | In Stock |
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Rajshri Aur Apni Duniya
- Brand: Vishv Books
- Product Code: 962
- ISBN: 9788179874301
- Availability: In Stock
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INR96.00