पढ़लिख कर पैसा कमाना चक्रधर के जीवन का उद्देश्य न था। आदर्शों की स्थापना की चाह में ही वह दीवान साहब की सुंदरी कन्या मनोरमा के मन की बात जान कर भी उदासीन बने रहे और अनाथ अहल्या को अपना जीवनसाथी बना लिया। यही अहल्या जब जगदीशपुर के राजा साहब की पुत्री निकली तब भी धन और राज्य का लोभ चक्रधर को क्या बांध पाया?
मनोरमा चक्रधर को भूल पाई? जीवनपथ पर चलते हुए चक्रधर अहल्या और मनोरमा की क्या परिणति हुई? पिता चक्रधर की खोज में भटकता उन का पुत्र क्या अपने पिता को पा सका? इन्हीं सवालों का जवाब है उपन्यास सम्राट प्रेमचंद का आत्मसुधारवादी उपन्यास ‘कायाकल्प’to सीधी और सरल भाषा में रचित यह उपन्यास अपने विस्तृत कथानक और अन्य प्रासंगिक कथाओं को ले कर चलने के बावजूद पाठकों को अंत तक बांधे रखता है।
Author's Name | Munshi Premchand |
Binding | Paper Back |
Language | Hindi |
Pages | 348 |
Product Code: | 817 |
ISBN: | 9788179872826 |
Availability: | In Stock |
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